कनाडा जिसके पीएम जस्टिन ट्रूडो को भारत से टकराने की सजा मिली है। अब उन्हें सत्ता भी गंवानी पड़ गई है। दूसरी तरफ हमारा पड़ोसी देश बांग्लादेश है। सत्ता का चेहरा तो मोहम्मद यूनुस हैं, लेकिन असल में वो कट्टरपंथियों के नायक बनते नजर आ रहे हैं। हाथों में लाठी-डंडें और जुबान पर अल्लाह हू अकबर के नारे के साथ यूनुस के कट्टरपंथी फौज या फिर कहे तालिबानी सेना बांग्लादेश में कत्लेआम मचाती नजर आ रही है। अफगानिस्तान के तालिबान की तरह धार्मिक कट्टरता का उन्माद खड़ा किया जा रहा है। यूनुस राज में बांग्लादेश कट्टरपंथियों का अड्डा बन चुका है। जिसकी गवाही वहां से आती रोज की खबरें दे रही हैं। बांग्लादेश के नील फमारी शहर में संगीत के दीवानों के लिए म्यूजिक कंसर्ट का आयोजन किया गया था। लेकिन उसका संगीत कंट्टरपंथियों को नहीं भाया तो उन्होंने म्यूजिक कंसर्ट को ही बंद करवा दिया।
कंट्टरपंथियों ने न सिर्फ कंसर्ट को बंद करवाया बल्कि संगीत को इस्लाम के खिलाफ बताकर भरे मंच से नारेबाजी कर दी। यूनुस और उनके कट्टरपंथी गैंग को हिंदुओं से नफरत और हिंदुस्तान से भी चिढ़ है। इसी वजह से ये म्यूजिक कंसर्ट बंद करवाया गया है। उन्हें डर था कि कंसर्ट में हिंदुस्तानी गाना बजेगा और बांग्लादेशी झूमने लगेंगे। एक तरफ तालिबानी सोच वाले कट्टरपंथी हिंदुस्तानी गाने से डर रहे हैं तो दूसरी ओर उनके आका मोहम्मद यूनुस भारत की कूटनीतिक ताकत से डर रहे हैं। उनका डर कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे ने और बढ़ा दिया है। ट्रूडो ने भारत के खिलाफ बहुत जहर उगला था। खालिस्तान के मुद्दे पर भारत को आंख दिखाने की कोशिश की थी। लेकिन उनके खिलाफ उनकी ही पार्टी के लोगों ने बगावत कर दी तो उन्हें पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा।
ट्रूडो भी भारत के खिलाफ उलूल जुलूल बयानबाजी कर चुके हैं और इसलिए अब यूनुस भी घबरा रहे हैं। मोहम्मद यूनुस की घबराहट एक इंटरव्यू में भी सामने आई थी। जब उन्होंने कहा था कि अगर कैबिनेट में इतने सारे भारतीय मूल के सदस्य रहेंगे और दोनों के बीच इतना अच्छा संबंध रहेगा। तो नुकसान हो सकता है। अब ट्रूडो की तरह मोहम्मद यूनुस भी बांग्लादेश में हिंदुस्तान विरोधी ताकतों को हवा दे रहे हैं।
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