हाई कोर्ट में नौ गिरफ्तार व्यक्तियों के परिवार ने की याचिका दायर, नवमी के दिन विशेष बेंच करेगी सुनवाई

कोलकाता । कोलकाता के एक दुर्गा पूजा मंडप के बाहर जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन के समर्थन में नारे लगाने वाले नौ लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। अब इन व्यक्तियों के परिवार ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए कोलकाता हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। हाई कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए दुर्गा पूजा के नवमी के दिन विशेष बेंच का गठन किया है। जस्टिस शंपा सरकार की अदालत में मामले की सुनवाई होगी।

राज्य में दुर्गा पूजा का उत्सव जोरों पर है, लेकिन इस बीच जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल और अनशन भी जारी है। सप्तमी के दिन ‘त्रिधारा सम्मिलनी’ पूजा मंडप में कुछ दर्शकों ने जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में नारेबाजी की, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया और बाद में गिरफ्तार कर लिया। गुरुवार को अलीपुर अदालत ने इन नौ लोगों को एक सप्ताह की पुलिस हिरासत में भेज दिया। गिरफ्तार व्यक्तियों में आसनसोल के कुल्टी निवासी सुजॉय मंडल, दमदम के उत्तरण साहा रॉय, टेंगरा के कुशल कर, दक्षिण 24 परगना के नरेन्द्रपुर निवासी जहर सरकार और साग्निक मुखर्जी, पूर्व बर्दवान के नादिम हजारी, हसनाबाद के ऋतब्रत मलिक, उत्तर 24 परगना के खरदह के चंद्रचूड़ चौधरी और रहड़ा के दृप्तमान घोष शामिल हैं।

जूनियर डॉक्टरों का धरना और 10 सूत्रीय मांगों को लेकर अनशन धर्मतला में जारी है। इस बीच, पुलिस ने इन आंदोलनकारियों को नोटिस भेजा है। बुधवार रात राज्यपाल सीवी आनंद बोस और अभिनेत्री अपर्णा सेन ने अनशन स्थल का दौरा किया। सप्तमी के दिन अदालत में पुलिस ने दावा किया कि गिरफ्तार व्यक्तियों के व्हाट्सएप चैट से पता चला है कि उन्होंने पूर्व नियोजित तरीके से पूजा मंडप में जाकर नारेबाजी की। गिरफ्तार लोगों के वकील ने दलील दी कि नारे लगाना अपराध नहीं है, फिर गिरफ्तारी क्यों की गई? वहीं, राज्य की ओर से तर्क दिया गया कि इन व्यक्तियों को अगर जमानत मिली, तो वे अन्य पूजा मंडपों में भी ऐसा कर सकते हैं। सरकारी वकील ने कहा कि यह स्वप्रेरित मामला नहीं है, बल्कि एक आम नागरिक की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या पूजा मंडप विरोध प्रदर्शनों के लिए उपयुक्त स्थान है? यदि वहां कोई दुर्घटना हो जाती, तो कौन जिम्मेदार होता?

अंततः निचली अदालत ने नौ व्यक्तियों को सात दिनों की पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया। इस फैसले के खिलाफ उनके परिवार ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और शुक्रवार को मामले की त्वरित सुनवाई की अपील की है, जिसे मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने मंजूरी दी है।

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