यरूशलम । आर्टम दोलगोपायट ने तोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर अपना सपना पूरा किया लेकिन स्वदेश में उनका अपनी महिला मित्र के साथ परिणय सूत्र में बंधने का सपना शायद ही पूरा हो पाएगा। यूक्रेन में जन्में इजराइली जिम्नास्ट ने जब इजराइल की तरफ से ओलंपिक खेलों में दूसरा स्वर्ण पदक जीता तो उन्हें राष्ट्रीय नायक बताया गया। लेकिन जश्न तब बहस में बदल गया जब उनकी मां ने कहा कि देश के रूढ़िवादी कानून के अंतर्गत उनके बेटे को यहूदी नहीं माना जाता है और उन्हें अपनी महिला मित्र से शादी करने की इजाजत नहीं मिलेगी। दोलगोपायट की मां ने कहा, ‘‘सरकार उसे यह शादी करने की अनुमति नहीं देगी।’’ उनके इस बयान के बाद ही बहस छिड़ी क्योंकि इजराइल के ‘घर वापसी’ के नियम के अनुसार जिसके भी दादा-दादी या नाना-नानी में कोई भी एक यहूदी होगा उसे ही इजराइली नागरिकता दी जाएगी। दोलगोपायट के पिता यहूदी हैं लेकिन मां नहीं। यहूदी धार्मिक कानूनों के अनुसार ‘हलाचा’ के तहत किसी को यहूदी तभी माना जाएगा जबकि उसकी मां यहूदी हो। इस धार्मिक कानून के कारण पूर्व सोवियत संघ के देशों से लौटे हजारों लोगों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है। वे इजराइल में रहते हैं, यहां की सेना में काम करते हैं लेकिन शादी और अंतिम संस्कार जैसे यहूदी रीति रिवाजों में हिस्सा नहीं ले सकते। दोगलोपायट की मां ने कहा कि उनका बेटा और उसकी महिला मित्र पिछले तीन वर्षों से साथ में रहते हैं लेकिन शादी नहीं कर सकते। ओलंपिक चैंपियन ने हालांकि इस विवाद को तूल नहीं देने की कोशिश की। उन्होंने तोक्यो में पत्रकारों से कहा, ‘‘ये चीजें मेरे दिल में है। इस पर अभी बात करना सही नहीं है।
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