स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्रियों ने ‘‘स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले स्कूलों’’ के लिए प्रतिबद्धता जताई

नई दिल्ली। डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों के स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्रियों ने मंगलवार को स्वस्थ पीढ़ी एवं समाज के लिए ‘‘स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले स्कूल’’ के लिए प्रतिबद्धता जताई, साथ ही ऐसे स्कूलों के लिए भी प्रतिबद्धता जताई जो सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान भी संचालित हो सकें।

मंत्रियों और संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने भी मजबूत शिक्षा व्यवस्था बनाए रखने की अपील की जो भविष्य के आपातकाल के लिए अच्छी तरह से तैयार रहें।

डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा, ‘‘महामारी मजबूत शिक्षा व्यवस्था बनाए रखने के महत्व को याद दिलाता है जो सामान्य परिस्थितियों के साथ ही महामारी जैसे आपातकाल में भी सभी बच्चों एवं किशोरों में शिक्षा एवं स्वास्थ्य के उद्देश्य को पूरा करे।’’

सिंह ने स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले स्कूलों के लिए सहभागी एजेंसियों यूनेस्को, यूएनएफपीए, यूनिसेफ और डब्ल्यूएफपी के प्रमुखों तथा क्षेत्र के स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्रियों की बैठक आयोजित की।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की तरफ से जारी एक बयान के अनुसार डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों के शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्रियों की तीन दिवसीय अंतर मंत्रालयी बैठक मंगलवार से शुरू हुई, ताकि व्यापक स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम लागू करने पर विचार-विमर्श किया जा सके।

इसमें बताया गया कि मंत्रियों की बैठक से पहले यूनेस्को, यूएनएफपीए, यूनिसेफ, डब्ल्यूएफपी और डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय प्रमुखों का शिखर सम्मेलन हुआ और क्षेत्र में स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रमों को मजबूत करने पर विचार-विमर्श किया।

स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले स्कूलों का उद्देश्य स्कूली बच्चों एवं किशोरों, शिक्षकों तथा अन्य कर्मचारियों के स्वास्थ्य, पोषण, मानसिक स्वास्थ्य और संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है।

बच्चे एवं किशोर बड़े होने के दौरान अपना ज्यादातर समय स्कूलों में बिताते हैं और बचपन से ही उनमें स्वस्थ व्यवहार को बढ़ावा देने से उनके वयस्क जिंदगी में लाभ होगा। साथ ही उनके परिवार एवं समाज को भी इससे काफी लाभ होगा।

यूनिसेफ के दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय निदेशक जॉर्जा लारयेआ-आदजेई ने कहा, ‘‘महामारी से असमानता बढ़ी है और इससे क्षेत्र के वंचित एवं गरीब तबके के बच्चों पर काफी बुरा असर पड़ा है। बच्चे कम सीख रहे हैं और स्कूलों से मिलने वाली कई स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाएं बंद कर दी गई हैं।’’

उन्होंने कहा कि हमें तुरंत बच्चों को वापस सुरक्षित तरीके से स्कूल भेजने और हर जगह उनकी निर्बाध शिक्षा जारी रखने की जरूरत है।

 

 

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