पीएम आवास योजना के बाद भी टूटे आशियाने में रह रही गरीब विधवा.

रिपोर्ट:शिवकेशशुक्ला

अमेठी:एक के बाद एक दुखों का पहाड़ टूटने के बाद विधवा आज भी अपने अधिकार के लिए दर दर भटक रही है। कच्ची कुटिया में जैसे तैसे गुजर कर रही तहसील क्षेत्र मुुसाफिरखाना के गांव चन्दीपुर की गरीब विधवा महिला श्यामपती,जो करीब 10 वर्ष पहले विधवा हो गई थी। इसके बाद से वह अपने बेटे वीरेंद्र के साथ जीवन गुजार रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना सहित अन्य आवासीय योजना आने के बाद उसके जेहन में एक पक्के आवास में रहने की आस जागी। ग्राम प्रधान से लेकर सचिव तक उसने गुहार लगाई,लेकिन उसके हाँथ खाली के खाली रह गए।
विधवा श्यामपती का कहना है कि पिछले बरसात में उसके कच्चे मकान का एक बड़ा हिस्सा गिर गया था।जिसकी सूचना उसने ग्राम प्रधान सहित अन्य लोगों को दी थी,लेकिन उसे किसी भी तरह की सहायता नहीं मिली।उसका अंत्योदय कार्ड बना है,अब वह परिवार के जीवन यापन के लिए बतौर सहायिका काम रही है जिससे किसी तरह से उसका जीवन यापन हो रहा है। उसका कहना है कि पति के देहांत के बाद वह इसी कच्चे मकान में रह रही है,जो अब कई जगह जर्जर हो चुका है।जो कभी भी गिरकर हादसे को दावत दे सकता है। कई बार प्रधानों व अन्य लोगों के पास जाती रही लेकिन सिवाय आश्वाशन के कुछ नहीं मिला।
एक तरफ सरकार गरीबों के लिए तमाम योजनाओं के माध्यम से लाभ पहुंचाने में प्रयासरत है। जिले के डीएम व सीडीओ अपने मातहतों को पात्रों तक योजनाओं को पहुचाने को लेकर निर्देश देते रहते है लेकिन स्थानीय जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते गरीबों के अधिकार को हनन हो रहा है। विधवा श्यामपती इसका साक्षात उदाहरण है। उसका कहना है कि ग्राम प्रधानों से लेकर अन्य जिम्मेदारों तक अरदास लगाई लेकिन नतीजा सिफर रहा। वह पूरी तरह हताश हो चुकी है।आज वह अपनी शेष जिंदगी कच्चे टूटे फूटे मकान में गुजारने को मजबूर है।अब उसे लगता है कि उसकी जिंदगी कच्चे मकान से शुरू होकर उसी में खत्म हो जाएगी।ग्राम सचिव मनीष कुमार ने बताया कि पात्रों की सूची बनते समय वह चन्दीपुर गांव में तैनात नहीं थे। तो वही बीडीओ मुसाफिरखाना हरि कृष्ण मिश्र ने बताया कि जैसे जैसे लक्ष्य प्राप्त होता है उसी के अनुसार लोग लाभान्वित होते है ।

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