हिमाचल-नागालैंड में परिवार न्यायालयों को मान्यता देने वाला विधेयक राज्यसभा में हंगामे के बीच पारित

 

द ब्लाट न्यूज़ । राज्यसभा ने हिमाचल प्रदेश और नागालैंड में परिवार न्यायालयों के गठन को कानूनी मान्यता प्रदान करने वाला परिवार न्यायालय (संशोधन) विधेयक 2022 गुरुवार को हंगामे के बीच पारित कर दिया जिसके बाद सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है और राज्यसभा में पारित होने के बाद इस पर संसद की मुहर लग गयी है।
सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के डाॅ. वी शिवदासन के प्रस्ताव तथा अन्य विपक्षी सदस्यों के विधेयक में संशोधनों को ध्वनिमत से खारिज कर दिया। अधिकतर विपक्षी दलों के सदस्यों ने विधेयक पर हुई चर्चा में भी हिस्सा नहीं लिया। विपक्षी सदस्य केन्द्रीय जांच एजेन्सियों के दुरुपयोग तथा अन्य मुद्दों को लेकर लगातार हंगामा करते रहे और उन्होंने सदन को शांति से चलने देने की उप सभापति हरिवंश की अपीलों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया।
विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिज़िज़ू ने हंगामे के बीच हुई बेहद संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य हिमाचल प्रदेश और नागालैंड में बनाए गए परिवार न्यायालयों के गठन को पूर्व प्रभाव से कानूनी मान्यता प्रदान करना है। विधेयक के पारित होने के बाद दोनों राज्यों की परिवार अदालतों के सभी फैसलों, आदेशों, नियमों, नियुक्तियों आदि को वैध करार दिया जायेगा।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने 15 फरवरी 2019 को एक अधिसूचना जारी कर तीन परिवार न्यायालयों का गठन किया था। वहीं नागालैंड ने 12 सितंबर 2008 को दो परिवार न्यायालयों का गठन किया था। इन दोनों राज्यों के न्यायालय तब से लगातार काम कर रहे हैं। इन अदालतों में हज़ारों फैसले हो चुके हैं इसलिए इन अदालतों को मान्यता देने के लिए यह विधेयक लाया गया है।
श्री रिजिजू ने कहा कि सरकार चाहती है कि देश में सभी परिवार सुखी तथा आबाद रहें , पति-पत्नी के बीच संबंध मधुर रहेंगे तो परिवार खुशहाल होगा और जिससे देश भी समृद्ध होगा। उन्होंने कहा कि हाल ही में आयोजित अखिल भारतीय न्यायिक सेवा सम्मेलन में उन्होंने सभी न्यायाधीशों से परिवार न्यायालयों को प्राथमिकता देने तथा इनमें लंबित मुकदमों का शीघ्र निपटारा करने को कहा है जिससे कि इन अदालतों में लंबित 11 लाख से अधिक मामलों में जल्द सुलह हो सके।
क़ानून मंत्री ने कहा कि हमारी कोशिश है कि हर ज़िले में पारिवारिक अदालत का गठन किया जाए ताकि मामलों का तेजी से निपटाया जा सकें। इसके लिए राज्य सरकारों से आग्रह किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार इसके लिए ढांचागत सुविधा और प्रौद्योगिकी के स्तर पर मदद करने में लगी है।

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