द ब्लाट न्यूज़ । दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने राजधानी के हर जिले के जिलाधिकारियों को नोटिस जारी कर दिल्ली में तेजाब की बिक्री पर लगने वाले जुर्माने के बारे में जानकारी मांगी है। महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ लगातार एसिड हमले का एक प्रमुख कारण तेजाब की अनियंत्रित बिक्री है। डीसीडब्ल्यू कई बार तेजाब की खुदरा बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की सिफारिश कर चुका है। मगर यह प्रतिबन्ध नहीं लगाया गया है और राजधानी में लगातार खुलेआम तेजाब बेचा जा रहा है।

सर्वोच्च न्यायालय ने ‘लक्ष्मी बनाम भारत संघ एवं अन्य’ के मामले में भारत में एसिड हमलों को रोकने के लिए एसिड की बिक्री को विनियमित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को कई निर्देश दिए हैं। इस संबंध में दिल्ली सरकार ने दिल्ली में एसिड की बिक्री को विनियमित करने के लिए एक आदेश पारित किया था जोकि किसी भी क्षेत्र के एसडीएम को आदेश के उल्लंघन के लिए 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाने का अधिकार देता है।

डीसीडब्ल्यू की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने सभी जिलाधिकारियों को नोटिस जारी कर मामले में जानकारी मांगी है। डीसीडब्ल्यू ने 2017 से अब तक एसडीएम द्वारा किए गए निरीक्षणों, लगाए गए जुर्माने की संख्या और वसूले गए जुर्माने की कुल राशि की जानकारी मांगी है।

डीसीडब्ल्यू ने जिला प्रशासन के पास वर्तमान में उपलब्ध जुर्माने की राशि का विवरण भी मांगा है। इसके अलावा, डीसीडब्ल्यू ने जुर्माने की राशि को जमा करने और उसका उपयोग करने के संबंध में सम्बंधित नियमों/दिशानिर्देशों की जानकारी भी मांगी है। साथ ही, जिला प्रशासन को जुर्माने के रूप में एकत्र की गई राशि में से जनवरी 2017 से अब तक किए गए खर्च का ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा गया है। डीसीडब्ल्यू ने जुर्माना राशि के उपयोग के लिए जिला प्रशासन द्वारा भेजे गए किसी भी लंबित प्रस्ताव की जानकारी भी मांगी है।

 

स्वाति मालीवाल ने कहा, “एसिड अटैक एक जघन्य अपराध है, और यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजधानी में एसिड की खुलेआम बिक्री हो रही है। तेजाब की खुदरा बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध समय की मांग है। डीसीडब्ल्यू इस नोटिस के माध्यम से दिल्ली में एसिड की अनियंत्रित बिक्री के साथ साथ जिला प्रशासन की जवाबदेही तय करने की कोशिश कर रहा है।

इसके अलावा एसिड बिक्री के नियमन से संबंधित आदेशों के उल्लंघन के लिए एसडीएम द्वारा एकत्र की गई जुर्माना राशि का उपयोग एसिड अटैक पीड़िताओं के पुनर्वास के लिए किया जाना चाहिए। आयोग यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि ऐसा किया जा रहा है या नहीं।”

 

 

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