योगीराज में सरकारी गौशालाओं को नहीं मिल रहा अनुदान, कर्ज में डूबे गोशाला संचालक

अधिकारी नहीं दे रहे सरकारी अस्थाई गो-आश्रय स्थलों पर ध्यान

अनुदान न मिलने से सैकड़ों गोवंश भुखमरी की कगार पर

चौमुहां। अस्थाई गौवंश आश्रय स्थलों में रह रहें गोवंशों की देखरेख के लिए मिलने वाले अनुदान की धनराशि 9-10माह से न मिलने की वजह से गोशाला में चारे के संकट खड़ा हो गया है। अब तक गोवंश आश्रय स्थल के संचालक उधारी और कर्ज लेकर गोवंशों के लिए चारे की व्यवस्था करते चले आ रहें थे। लेकिन अब कर्जदारों का पैसा न चुका पाने की स्थिति में उन्होंने भी पैसा देना बंद कर दिया है। और पिछले दिए गए कर्ज की अदायगी के लिए गौशाला संचालकों पर दवाब बना रहें हैं। ऐसा ही मामला चौमुहां विकास खंड के गांव अकबरपुर और नोगांव के अस्थाई गोवंश आश्रय स्थलों का संज्ञान में आया है। इन दोनों गांवों में संचालित गोआश्रय स्थलों में रह रहें गोवंशों की देखरेख के लिए 9-10 माह से अब तक सरकारी अनुदान की धनराशि उपलब्ध नहीं हो पाई है। संचालक अब तक गोवंशों के भरण पोषण के लिए कर्ज लेकर चारे की व्यवस्था करते चले आ रहे हैं लेकिन अब कर्जदारों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। अब यदि ऐसी स्थिति में सरकारी अनुदान नहीं मिला तो गौशाला में रह रहे सैकड़ों गोवंश भुखमरी की कगार पर होंगे। अकबरपुर गोशाला के केयर टेकर महंत मदनमोहन दास महाराज ने बताया उनके यहां 141 गोवंश रह रहें हैं। 9-10 माह से कोई सरकारी अनुदान नहीं मिला है। कर्ज और उधारी लेकर वह गोवंशों के लिए चारे की व्यवस्था करते चले आ रहें हैं। लेकिन अब न तो कर्ज मिल रहा है और न ही कोई ग्रामीण उधार चारा दे रहा है। इस स्थिति में गोवंशों के लिए चारे की व्यवस्था करना बड़ा ही कठिन हो गया है। 23 सितम्बर 2020 को अनुदान के लिए मांग पत्र भेज रखा है लेकिन अधिकारियों की हीलाहवाली के चलते अभी तक अनुदान का एक भी पैसा नहीं मिला है। उन्होंने बताया चौमुहां विकास खंड गांव अकबरपुर, नोगांव और दलोता में तीन सरकारी अस्थाई गो-आश्रय स्थल बने थे। अनुदान न मिलने की वजह से दलोता का गो-आश्रय स्थल बन्द हो गया। यदि जल्द ही अनुदान की राशि न मिली तो अकबरपुर और नोगांव के गो-आश्रय स्थल भी बंद करने पड़ेंगे। ग्रामीण अकबरपुर प्रधान निहाल सिंह, रावण पहलवान, रमजी,धनसिंह, संजय सिंह,राजू आदि ने जिलाधिकारी के अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल के लिए जल्द अनुदान की धनराशि उपलब्ध कराएं जाने की मांग की है।

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